वरुथिनी एकादशी 2025: व्रत की तिथि, महत्व, कथा, नियम, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की संपूर्ण जानकारी
वरुथिनी एकादशी 2025: संपूर्ण जानकारी, महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि, मंत्र और पारण समय
📅 वरुथिनी एकादशी 2025: तिथि और पारण समय
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एकादशी तिथि आरंभ: 23 अप्रैल 2025, बुधवार, सायं 4:43 बजे
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एकादशी तिथि समाप्त: 24 अप्रैल 2025, गुरुवार, दोपहर 2:32 बजे
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पारण का समय: 25 अप्रैल 2025 को प्रातः 5:46 बजे से 8:23 बजे तक
🌟 वरुथिनी एकादशी का महत्व
वरुथिनी एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है। "वरुथिनी" का अर्थ होता है रक्षा करने वाली। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन का व्रत करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि रोगों और दुर्भाग्य से भी रक्षा होती है। इसे मोक्ष प्रदायक व्रत भी कहा गया है।
📖 वरुथिनी एकादशी व्रत कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे राजेश्वर!
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह
सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट
करने वाली तथा अंत में मोक्ष देने वाली है। इसकी महात्म्य कथा आपसे कहता हूँ..
वरुथिनी एकादशी व्रत कथा!
प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर
मान्धाता नामक राजा राज्य करते थे। वह अत्यंत दानशील तथा तपस्वी थे। एक दिन जब वह
जंगल में तपस्या कर रहे थे, तभी न जाने कहाँ से
एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाने लगा। राजा पूर्ववत अपनी तपस्या में लीन
रहे। कुछ देर बाद पैर चबाते-चबाते भालू राजा को घसीटकर पास के जंगल में ले गया।
राजा बहुत घबराया,
मगर
तापस धर्म अनुकूल उसने क्रोध और हिंसा न करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की,
करुण
भाव से भगवान विष्णु को पुकारा। उसकी पुकार सुनकर भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए
और उन्होंने चक्र से भालू को मार डाला।
राजा का पैर भालू पहले ही खा चुका था। इससे राजा बहुत ही शोकाकुल हुए। उन्हें दुःखी देखकर भगवान विष्णु बोले: हे वत्स! शोक मत करो। तुम मथुरा जाओ और वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। उसके प्रभाव से पुन: सुदृढ़ अंगों वाले हो जाओगे। इस भालू ने तुम्हें जो काटा है, यह तुम्हारे पूर्व जन्म का अपराध था।
भगवान की आज्ञा मानकर राजा मान्धाता ने
मथुरा जाकर श्रद्धापूर्वक वरूथिनी एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से राजा शीघ्र
ही पुन: सुंदर और संपूर्ण अंगों वाला हो गया। इसी एकादशी के प्रभाव से राजा
मान्धाता स्वर्ग गये थे।
जो भी व्यक्ति भय से पीड़ित है उसे वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होकर मोक्ष मिलता है।
🛐 व्रत की विधि
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प्रातः काल उठकर स्नान करें।
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संकल्प लें - "मैं आज वरुथिनी एकादशी व्रत करूंगा।"
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भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
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पंचामृत से स्नान कराएं।
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दीप, धूप, चंदन, पुष्प, तुलसी पत्र अर्पित करें।
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"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का 108 बार जाप करें।
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वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या श्रवण करें।
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दिनभर फलाहार करें। अन्न, चावल, गेहूं का त्याग करें।
🕉️ प्रमुख मंत्र
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"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
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विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
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विष्णु चालीसा
🎶 आरती:
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आरती: "ओं जय जगदीश हरे"
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विष्णु जी की भजन संध्या करें।
📿 पूजा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:
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तुलसी पत्र अवश्य अर्पित करें।
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दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान को स्नान कराएं।
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केले के पत्ते पर भोग लगाएं।
🎁 दान एवं पुण्य:
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अन्न, वस्त्र, छाता, जूते, स्वर्ण, चांदी, जलपात्र का दान करें।
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ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
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कन्याओं को दक्षिणा दें।
📌 पारण विधि
पारण एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि में किया जाता है। सूर्योदय के समय 5:46 से 8:23 बजे तक व्रत खोलें। सबसे पहले भगवान विष्णु को जल अर्पित कर भोग लगाएं, फिर तुलसी पत्र के साथ प्रसाद लें। इसके बाद स्वयं फलाहार या हल्का भोजन कर व्रत खोलें।
⚠️ व्रत के नियम:
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एकादशी से एक दिन पहले से ही सात्विक भोजन लें।
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व्रत के दिन झूठ, क्रोध, आलस्य, मांस, मदिरा से दूर रहें।
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ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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पूरे दिन विष्णु स्मरण और भजन में समय बिताएं।
🌍 ज्योतिषीय लाभ
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ग्रहों के दोष शमन में सहायक
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राहु, शनि, केतु की शांति
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विवाह और संतान बाधा में राहत
🌺 भक्तों के अनुभव
अनेक भक्तों ने इस एकादशी का व्रत करके जीवन में चमत्कारी लाभ प्राप्त किया है। घर में सुख-शांति आई, धन में वृद्धि हुई और कई वर्षों की कठिनाइयाँ दूर हुईं।
🔚 निष्कर्ष:
वरुथिनी एकादशी 2025 आध्यात्मिक उन्नति, पापों की मुक्ति और भगवान विष्णु की कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर है। इस दिन विधिवत व्रत और पूजन करने से न केवल इस जीवन में बल्कि अगले जन्मों में भी शुभ फल प्राप्त होता है।
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